नवार्ण मंत्र का अर्थ | Navarna Mantra Sadhana Mantra
माता दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण महामंत्र है ! नवार्ण अर्थात नौ अक्षरों वाले इस बीज महामंत्र में देवी दुर्गा माँ की नौ शक्तियां समायी हुई है !
हर एक देवी देवता का मूल मंत्र है वैसे ही माँ दुर्गा का सबसे शक्तिशाली और माँ की शीघ्र पूर्ण कृपा देने वाला जो मंत्र है वो है “नवार्ण मंत्र” “ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” |
नवार्ण मंत्र से आपको सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है और भगवती माँ दुर्गा जी का पूर्ण आशीर्वाद के साथ उनके तीनों स्वरूपों महासरस्वती, महालक्ष्मी व महाकाली को प्रसन्न किया जा सकता हैं
इस मंत्र साधना में जो विधि विधान है वो विधि विधान सहित ही इस मंत्र का जाप करना चाहिये अन्यथा उसका फल नहीं मिलता या विलम्ब से मिलता है |
यह मंत्र परम गोपनीय और अत्यंत लाभकारी है | शक्ति साधना के महत्त्वपूर्ण मंत्रों और स्तोत्रों में इस नवार्ण-मंत्र का प्रमुख स्थान माना जाता हैं !
नवार्ण मंत्र साधना के माध्यम से साधक अपनी कुण्डलिनी चेतना को जाग्रत् कर सकता है !
नवार्ण मंत्र जाप के लाभ
इस मंत्र साधना से माँ दुर्गा की पूर्णकृपा प्राप्त होती है और यह एक मात्र ऐसा मंत्र है जिन्हके मन्त्र जाप से माँ दुर्गा के जितने भी स्वरुप है उन सभी स्वरुप का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
नवार्ण मंत्र साधना को पूर्णता रूप से सिद्ध करके मोक्ष प्राप्त की जा सकती है ! किसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए Navarna Mantra Sadhana में नवार्ण मंत्र को पूर्ण लगन से सवा लाख मंत्र का जाप करके, अनुष्ठान के रूप में किया जाये, तो तत्काल सफलता प्राप्त होती है !
सभी बाधा और कष्टों से मुक्ति देता है यह मंत्र | धर्म-अर्थ-कर्म-मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थो को देने वाला उत्तम मन्त्र है यह नवार्णमन्त्र |
किसी भी प्रकार के ऋणों में से मुक्ति देता है यह मंत्र और सभी विलम्बित कार्यो में सफलता प्रधान करता है
नकारात्मक शक्तियों को मूल से नष्ट कर देता है |
नवार्ण मंत्र से नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की भी शक्ति है !
नवार्ण मंत्र-
।। ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ।।
नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई है जिसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से भी है
ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।
ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
इसके साथ नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज” ऐं “से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है, जिस में सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज” ह्रीं “से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जिस में चन्द्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज ” क्लीं “ से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है, जिस में मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज” चा “से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की उपासना की जाती है, जिस में बुध ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के पंचम बीज” मुं “से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिस में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज” डा “से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है, जिस में शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज” यै “से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना की जाती है, जिस में शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज” वि “से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है, जिस में राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के नवम बीज ” चै“ से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है जिस में केतु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
Navarna Mantra Sadhana Method
विनियोग:
ll ॐ अस्य श्रीनवार्णमंत्रस्य ब्रम्हाविष्णुरुद्राऋषय: गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छंन्दांसी, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासर स्वत्यो देवता:, ऐं बीजम, ह्रीं शक्ति:, क्लीं कीलकम श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासर स्वत्यो प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ।।
विलोम बीज न्यास:-
ॐ च्चै नम: गूदे । ॐ विं नम: मुखे । ॐ यै नम: वाम नासा पूटे । ॐ डां नम: दक्ष नासा पुटे । ॐ मुं नम: वाम कर्णे । ॐ चां नम: दक्ष कर्णे । ॐ क्लीं नम: वाम नेत्रे । ॐ ह्रीं नम: दक्ष नेत्रे । ॐ ऐं ह्रीं नम: शिखायाम ॥
(विलोम न्यास से सर्व दुखोकी नाश होता है, संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दहीने हाथ की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये)
ब्रम्हारूप न्यास:-
ॐ ब्रम्हा सनातन: पादादी नाभि पर्यन्तं मां पातु ॥ ॐ जनार्दन: नाभेर्विशुद्धी पर्यन्तं नित्यं मां पातु ॥ ॐ रुद्र स्त्रीलोचन: विशुद्धेर्वम्हरंध्रातं मां पातु ॥ ॐ हं स: पादद्वयं मे पातु ॥ ॐ वैनतेय: कर इयं मे पातु ॥ ॐ वृषभश्चक्षुषी मे पातु ॥ ॐ गजानन: सर्वाड्गानी मे पातु ॥ ॐ सर्वानंन्द मयोहरी: परपरौ देहभागौ मे पातु ॥
( ब्रम्हारूपन्यास से सभी मनोकामनाये पूर्ण होती है, संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दोनों हाथो की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये )
ध्यान मंत्र:-
खड्गमं चक्रगदेशुषुचापपरिघात्र्छुलं भूशुण्डीम शिर: शड्ख संदधतीं करैस्त्रीनयना सर्वाड्ग भूषावृताम ।
नीलाश्मद्दुतीमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम ॥
माला पूजन:-
जाप आरंभ करनेसे पूर्व ही इस मंत्र से माला का पुजा कीजिये, इस विधि से आपकी माला भी चैतन्य हो जाती है.
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नंम:
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिनी ।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहनामी दक्षिणे करे ।
जपकाले च सिद्ध्यर्थ प्रसीद मम सिद्धये ॥
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देही देही सर्वमन्त्रार्थसाधिनी साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा।
अब आप येसे चैतन्य माला से नवार्ण मंत्र का जाप करे-
नवार्ण मंत्र :-
ll ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ll