Karthaveeryarjuna Stotram in Hindi

कार्तवीर्य अर्जुन

श्री कार्तवीर्य अर्जुन (संस्कृत: अर्जुन), सहस्रबाहु अर्जुन या श्री सहस्रार्जुन के रूप में भी जाने जाते है, पुराणों के अनुसार वो भगवान विष्णु के मानस प्रपुत्र तथा भगवान सुदर्शन का स्वयंअवतार है। पुराणों के अनुसार, उन्होंने सात महाद्वीपों (कुछ ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मांड) पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी माहिष्मती से 85 हजार वर्षों तक शासन किया। उनके अधिकृत आर्यव्रत के 21 क्षत्रिय राजा थे। वायु और अन्य पुराण से उन्हे भगवान की उपाधि प्राप्त है और धन और खोए कीर्ति के देवता का मान भी। उन्हें महान राजा कृतवीर्य का पुत्र बताया गया है। उन्हें एक हजार हाथ वाले और देवता दत्तात्रेय के एक महान भक्त के रूप में वर्णित किया गया है। वह दानव राजा रावण को आसानी से हराने के लिए प्रसिद्ध है
भागवत पुराण। 9.23.25 में कहा गया है: "पृथ्वी के अन्य शासक बलिदान, उदार दान, तपस्या, योगिक शक्तियों, विद्वानों के प्रदर्शन के मामले में कार्तवीर्य अर्जुन की बराबरी तक नहीं पहुंच सकते सम्राट अर्जुन की राजधानी नर्मदा नदी के तट पर थी जिसे इन्होंने कार्कोटक नाग से जीता था जो की कर्कोटक ने किसी हैहय राजकुमार से जीती थी जिसे (माहिष्मति को) हैहय सम्राट माहिष्मान ने बसाई थी।
कार्तवीर्य अर्जुन का मूल नाम अर्जुन था, कार्तवीर्य इन्हें राजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण कहा गया। अन्य नामों में, सहस्रबाहु अर्जुन, सहस्रबाहु कार्तवीर्य या सहस्रार्जुन इन्हें हज़ार हाथों के वरदान के कारण; हैहय वंशाधिपति, हैहय वंश में श्रेष्ठ राजा होने के कारण; माहिष्मति नरेश, माहिष्मति नगरी के राजा; सप्त द्वीपेश्वर, सातों महाद्वीपों के राजा होने के कारण; दशग्रीव जयी, रावण को हराने के कारण और राजराजेश्वर, राजाओं के राजा होने के कारण कहा गया।

Karthaveeryarjuna Stotram in Hindi

कार्तवीर्यार्जुन द्वादशनाम स्तोत्रम् 

कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान् ।
तस्य स्मरण मात्रेण गतं नष्टं च लभ्यते ॥ १ ॥
कार्तवीर्यः खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली ।
सहस्रबाहुः शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्धरः ॥ २ ॥
रक्तगन्धो रक्तमाल्यो राजा स्मर्तुरभीष्टदः ।
द्वादशैतानि नामानि कार्तवीर्यस्य यः पठेत् ॥ ३ ॥
सम्पदस्तत्र जायन्ते जनस्तत्र वशं गतः ।
आनयत्याशु दूरस्थं क्षेमलाभयुतं प्रियम् ॥ ४ ॥
सहस्रबाहुं महितं सशरं सचापं
रक्ताम्बरं विविध रक्तकिरीटभूषम् ।
चोरादिदुष्टभयनाशनमिष्टदं तं
ध्यायेन्महाबलविजृम्भितकार्तवीर्यम् ॥ ५ ॥
यस्य स्मरणमात्रेण सर्वदुःखक्षयो भवेत् ।
यन्नामानि महावीर्यश्चार्जुनः कृतवीर्यवान् ॥ ६ ॥
हैहयाधिपतेः स्तोत्रं सहस्रावृत्तिकारितम् ।
वाञ्चितार्थप्रदं नॄणां स्वराज्यं सुकृतं यदि ॥ ७ ॥
इति कार्तवीर्यार्जुन द्वादशनाम स्तोत्रम् ।

Karthaveeryarjuna Mantra in Hindi – कार्तवीर्यार्जुन मंत्र 

कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान् ।
तस्य स्मरण मात्रेण गतं नष्टं च लभ्यते ॥
 

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